पूर्व सरकारों की दूरदर्शिता हीन नीतियों व प्रदेश के संसाधनों के प्रति संवेदनहीनता के चलते हिमाचल प्रदेश राज्य कंगाली छान रहा है। गरीब लेकिन गौरवान्वित हिमाचल प्रदेश राज्य अपनी कंगली अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुआयामी नीति पर काम कर रहा है। गत दो वर्षों में सरकार ने प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों, पानी व प्राकृतिक सौंदर्य का दोहन, अवांछित सब्सिडी को खत्म कर और व्यसनी पदार्थ की बिक्री या नीलामी में सुधार कर राजस्व बढ़ाने के कुछ कदम उठाए हैं। सरकार का दावा है कि जिनके उत्साहवर्धक परिणाम भी मिल रहे हैं।अब सरकार कार्बन बाजार व नियंत्रित और दिशागत भांग की खेती से भी प्रदेश की खस्ता अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने पर आगे बढ़ रही है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में 24 जनवरी 2025 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए भांग (कैनबिस) की खेती के पायलेट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई।
मंत्रिमंडल के अनुसार, कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय और सोलन जिले के नौनी में स्थित डॉ. वाईएस परमार बागवानी विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से अध्ययन कर भविष्य में भांग की खेती का मूल्यांकन और सिफारिश करेंगे। कृषि विभाग को इस पहल के लिए नोडल विभाग नामित किया गया है।
इस फैसले से हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर के बाद चिकित्सीय और औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की नियंत्रित खेती की स्वीकृति देने वाले राज्यों में शामिल हो गया है।
एनडीपीएस कानून के बावजूद हिमाचल प्रदेश में साल 2000 से पहले तक भांग की खेती नियमित व स्वतंत्र रूप से होती थी, लेकिन इसके बाद हुई सख्ती ने इसकी खेती बंद कर दी। हालांकि प्रदेश के कई जिलों में चोरी छुपे इसकी खेती जारी है।
मौजूदा सरकार द्वारा भांग (कैनबिस) की खेती के पायलेट प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से स्थानीय लोग खुश भी हैं और cannabis की खेती करने में सरकार द्वारा लगाई जाने वाली बाढ़-बंदिशों को जानने के लिए उत्सुक भी हैं।
हिमाचल प्रदेश की cannabis की औषधीय गुणों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग रहती है। अभी तक यह कारोबार चोरी छुपे होता रहा है अब सरकार की निगरानी में होने से एक तो भ्रष्टाचार में कमी आएगी और सरकार को राजस्व मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश की cannabis की औषधीय गुणों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग रहती है। अभी तक यह कारोबार चोरी छुपे होता रहा है अब सरकार की निगरानी में होने से एक तो भ्रष्टाचार में कमी आएगी और सरकार को राजस्व मिलेगा।
कैनबिस को आमतौर पर फाइबर, बीज, बायोमास या अन्य दोहरे उद्देश्य वाली फसल के रूप में उगाया जाता है। भांग के वैश्विक बाजार में 25,000 से अधिक उत्पाद शामिल हैं।
हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह कहते हैं कि कैनबिस को कानूनी वैद्यता मिलनी चाहिए। जहां तक नशे के रूप में उसके इस्तेमाल की बात है तो उसे नियंत्रित करने के उपाय होने चाहिए। वह बताते हैं कि कारपोरेट के दबाव में इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, क्योंकि उद्योगों को इसमें करोड़ों का फायदा नजर आ रहा है।