2004 से 2014 UPA बनाम 2014 से 2024 NDA
नेशनल डेस्क- 2024 के लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कांग्रेस लोकसभा सदस्य राहुल गांधी व अन्य विपक्षी दलों द्वारा की गई चर्चा और उनकी चर्चा का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में उभर कर सामने आ गई। राहुल गांधी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए व व लोक सभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति का एक अंश राष्ट्र के सामने रखा। विपक्ष में बैठी तृणमूल कांग्रेस की महुआ मित्रा ने भी कांग्रेस से मिलती जुलती लाईन ही भाजपा सरकार को घेरा और कई प्रश्र खड़े किए। जिने भी अन्य क्षेत्रीय दल जो भाजपा सरकार की नीतियों के कट्टर विरोधी है धीरे-धीरे राहुल गांधी द्वारा खींची लाईन पर ही चलेंगे ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से संकेत मिला है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के एक सुर में बोलने पर चुटकी लेते हुए कहा कि विपक्ष अन्य किसी मुद्दे पर इकट्ठा नहीं हुआ परंतु ई.डी. के डर ने सबको एकजुट कर दिया है। प्रधानमंत्री ने प्रतिउत्तर भाषण में विपक्ष पर, विशेषतौर पर कांग्रेस नेता का नाम लिए बिना, कई चुटकियां ली परंतु वह राहुल गांधी द्वारा उठाए मुद्दों व प्रश्नों पर बेचैन भी लगे।
राहुल का क्रोनी कैपिटलिज्म पर उठाए गंभीर सवाल
राहुल गांधी की चर्चा पर आने से पहले क्रोनी कैपिटलिज्म क्या होता है उसकी व्याख्या करना जरूरी है। ”ऐसी अर्थव्यवस्था एक बिजनेस की सफलता बाजार की शक्ति द्वारा नहीं बल्कि राजनीतिक वर्ग (सरकार व व्यापारी) और व्यापारी वर्ग के बीच सांठगांठ पर निर्भर करती है। इसमें सरकार ऐसी नीति बनाती है जिससे एक विशेष वर्ग या व्यक्ति को लाभ होता है और लाभ कमाने वाला वर्ग भी सरकार को कुछ लाभ बांटता है। राहुल गांधी ने अपनी चर्चा में महंगाई, बेरोजगारी, आदिवासी, साम्प्रदायिकता व अन्य मुद्दों को भी उठाया परंतु उनके भाषण का मुख्य केंद्र क्रोनी कैपिटलिज्म रहा। गांधी ने शक्तिशाली उद्योगपति अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते की जुगलबंदी को क्रोनी कैपिटलिज्म से जोड़ते हुए कहा कि एक उद्योगपति जिसकी कैपिटलबर्थ 2014 में 8 बिलियन थी, वह घातीय ढंग से बढ़ते हुए 2022 में 140 बिलियन हो गई। राहुल गांधी ने इस अकल्पनीय वृद्धि पर चुटकी लेते हुए अपनी यात्रा का हवाला दिया और कहा कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में कुछ पढ़े लिखे बेरोजगार नौजवान मिले जो उनसे कह रहे थे हम भी ऐसे बिजनेस में घुसना चाहते हैं जहां वह भी अडानी की तरह रातों-रात अमीर हो जाएं। राहुल गांधी ने कहा कि अडानी 2014 में दुनिया के अमीर लोगों की सूची में 609वें पायदान पर थे, अर्थात सबसे पीछे और व्यापार व उत्पादन के कुछ ही क्षेत्रों में स्थापित थे परंतु 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद उनके व्यापार ने ऐसी गति पकड़ी कि सभी strategic sec. यानि डिफेंस, बिजली, सड़क, पानी, पोर्ट व एयरपोर्ट आदि सभी क्षेत्रों में अडानी ही अडानी हो गया। बैंकों ने अडानी समूह को धड़ाधड़ ऋण देने शुरू किए। पब्लिक क्षेत्र की कंपनियां जैसे एलआईसी ने अडानी समूह की कम्पनियां में करोड़ों रुपए का निवेश किया।
प्रधानमंत्री के विदेशों के दौरे पर अडानी के साथ होने पर प्रश्न
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों पर अडानी के साथ होने को भी क्रोनी कैपिटलिज्म से जोड़ा। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि उद्योगपति अडानी उनके साथ कितनी बार विदेशी दौरों में साथ गए? कितने देशों में अदानी उनकी विदेश यात्रा के तुरंत बाद गए और उन्हें उन देशों में कितना व्यापार मिला? मारिशस में सैल कम्पनियाँ किस की और भारत में किसको पैसा भेजती हैं? क्या बैंकों द्वारा अडानी समूह की कम्पनियां को ऋण देने की प्रक्रिया सही है? प्रधानमंत्री यह सब संसद में बताएं।
प्रधानमंत्री का चर्चा का प्रतिउतर
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पूर्ण होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर देने खड़े हुए तो उन्होंने अपनी शैली में विपक्ष के प्रश्नों से हट कर समूचे विपक्ष को राष्ट्रपति के अभिभाषण को मौन स्वीकृति देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण जो मूलभूत सुविधाएं और भारत को जो सम्मान विश्व भर में विगत कुछ वर्षों में मिलने उल्लेख किया है उस पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई। बात ठीक भी हो सकती है या ठीक है परंतु जो प्रश्न कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उठाए है वह भी महत्वपूर्ण है। उद्योगपति अडानी का कारोबार इतना फैला हुआ है कि उसकी आंच भारत के नागरिकों तपा रही है। समूचे भारत की बात निश्चित तौर पर नहीं कही जा सकती परंतु हिमाचल में अदानी के सेब व सीमेंट के कारोबार से 70 से 75 प्रतिशत लोगों की माली हालत पर चोट हो रही है। इसी तरह की हालत हवाई चप्पल में हवाई यात्रा करने वालों की भी है। हवाई अड्डे के अंदर व बाहर धक्के खाते हुए जब वह भूखे प्यासे अंदर पहुंचते है तो वह अपनी भूख प्यास बुझाने किसी दुकान पर जाते है तो खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत सुनकर सन्न रह जाते हैं। वह दुकानदार से पूछते हैं भाई चाय का इतना रेट कैसे? दुकानदार झट से उत्तर देता है अदानी ने किराया बहुत बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी एक बात जानते है कि उनके शासनकाल में हवाई चप्पल वाले भी हवाई यात्रा करते है। अब यह हवाई चप्पल जब खाद्य व पेय पदार्थों के रेट सुनते हैं तो पहले अपनी हवाई चप्पल देखते हैं फिर अपनी अकल और फिर अदानी के बारे में सोचते हैं कि वह ऐसा क्यों कर रहे है? उनकी सोच का उत्तर उन्हें विपक्ष द्वारा उठाए प्रश्नों से मिलता है और 2024 तक मिलता रहेगा क्योंकि विपक्ष विशेषतौर पर कांग्रेस के राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनावों की लंबी कहानी की भूमिका बांध चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी इस बात को समझते है तभी उन्होंने राष्ट्रपति भाषण पर कम बोला और 2004 से 2014 की यूपीए सरकार में हुए कथित टू जी, कोयला व सीडब्ल्यूजी के घोटालों को पुन: कब्र से निकाला और अपने पहले शासनकाल 2014-2019 के शासनकाल के कार्यों का सहारा लेना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में अपने प्रतिउत्तर में भले ही लीपापोती कर के निकल गए परंतु आने वाले समय में वह राहुल गांधी के प्रश्नों का ठोस तोड़ जरूर निकालेंगे क्योंकि आज तक मोदी चुनाव का रूख तय करते रहे है और उनकी रणनीति में कांग्रेस फंसी रहती थी परंतु इस बार के 2024 के चुनावों का रूख राहुल गांधी ने तय कर दिया। प्रधान मंत्री मोदी आने वाले 8-9 राज्यों के चुनावों मे कांग्रेस द्वारा तह चुनावी रणनीति की तैसनैस करने का भरपूर प्रयास करेंगे देखना यह है कि कांग्रेस हथियार डालती है, जो वह पूर्व करती रही है, या अपने चक्रव्यूह को सुरक्षित रख पाती है।
लेख की सामग्री संसद टीवी की यूट्यूब पर क्लिपिंग और राहुल की पत्रकारों से बातचीत में से ली है
Adani episode has really brought BJP and Modi government on the back foot and in defending mode. Retail investors have lost their money in big way in a week’s time only and cursing the SEBI, financial institutions and Modi government for not protecting their investments in capital market. Retail investors losing faith in capital market.
Very nice analysis sir….
Very nice analysis sir. Keep it up.
Thanks bhai I will keep trying Thanks