हाटी समुदाय की केंद्रीय हाटी मंच व हाटी कल्याण मंच की दोनों रेलिया में खासी भीड़ रही लेकिन केंद्रीय हाटी मंच पर कुछ हाटी नेता नादारद रहे

राजनीतिक चालों, सामाजिक पेचीदगियों,कानूनी गांठों व केंद्र सरकार की अधिसूचना पत्र के भाषाई शब्दों की खींचतान में उलझती जा रही है हाटी समुदाय की जनजातीय दर्जे की अधिसूचना। सिरमौर के गिरी पार क्षेत्र के हाटी समुदाय के लोगों का दशकों से संविधान में जनजातीय दर्जा प्राप्त करने का संघर्ष 4 अगस्त 2022 में खत्म हुआ था। केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का बिल संसद से पास करवा कर और उसकी अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद अधिसूचना जारी की लेकिन प्रदेश में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू होने के कारण मामला कुछ समय के लिए लटक गया था। चुनाव के बाद नव निर्वाचित कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना को लागू करने में केंद्रीय अधिसूचना में कुछ खामियां पाईं ,जिनका स्पष्टीकरण केंद्र सरकार से मांगा। इसी अंतराल में इस क्षेत्र के गुर्जर समुदाय ने अधिसूचना को प्रदेश के उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

अधिसूचना को लागू करने में हो रही देरी से हाटी समुदाय के लोग धैर्य खोने लगे और उन्होंने प्रदेश सरकार को दिवाली तक अधिसूचना को लागू करने की गुहार लगाई और चेताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो सिरमौर में उग्र आंदोलन होगा अपने वचनों व कथनों का पालन करते हुए हाटी समुदाय के लोगों ने शिलाई के खुमली मैदान में एक रैली का आयोजन किया और सरकार को अधिसूचना लागू करने के लिए दबाव बनाया।
केंद्रीय हाटी ने शिलाई में जन आंदोलन निकालकर प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया है तथा एसडीएम शिलाई के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजकर यह चेताया हैं कि यदि जल्द गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र के अधिकार न मिले तो समूचा गिरिपार क्षेत्र में प्रदेश स्तरीय आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतर जाएगा। प्रदेश सरकार को भेजे ज्ञापन में लिखा है कि 6 दशकों के लम्बे और शान्ति पूर्ण संघर्ष के बाद केन्द्र सरकार द्वारा गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र का संवैधानिक अधिकार देने की गजट अधिसूचना 4 अगस्त 2023 को जारी की जा चुकी है। लेकिन साढ़े चार महीने का समय बीत जाने के बाद भी हाटी समुदाय के लोगों को जनजाति के प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया आरम्भ नहीं की गई है।

लेकिन उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने केन्द्रीय हाटी रोष रैली से एक दिन पहले हाटी कल्याण की जनसभा के संबोधन में इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किए जाने पर काफी जोर दिया। बावजूद इसके उनके पूरे भाषण में और मंच के आयोजन में कूटनीति का पूरा समावेश था। आज हुए प्रदर्शन के दौरान स्थानीय विधायक रहे बलदेव तोमर ने कहा कि हाटी विकास मंच उन लोगों का मंच बन गया है जो उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के माध्यम से अपना निजी कल्याण चाहते हैं।
जबकि बीते कल कल्याण मंच की खुमली में हर्षवर्धन चौहान ने केंद्रीय हाटी समिति पर भगवाकरण का आरोप भी लगाया था। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि हर्षवर्धन चौहान ने अपने स्वर्गीय पिता ठाकुर गुमान सिंह का मुद्दे पर बचाव करते हुए उसे समय मुख्यमंत्री रहे हिमाचल निर्माता डॉक्टर यशवंत सिंह परमार की ओर ध्यान खिंचवाया था।
हर्षवर्धन चौहान ने अपने चुनाव क्षेत्र के विरोधी बलदेव तोमर पर बड़ी सफाई से उनके ही पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और सांसद सुरेश कश्यप का पक्ष रखते हुए बेहतर कूटनीतिक दाव खेला। जिसका असर कहीं ना कहीं केंद्रीय हाटी समिति में भी देखने को मिल रहा है।बरहाल अब दोनों मंच आमने-सामने आ चुके हैं।
मुद्दे का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है। इसमें कोई भी शक नहीं है की इस समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलना ही मिलना है। मगर देखना यह होगा कि यह हाटी अब भाजपा की होगी या कांग्रेस की क्योंकि ट्रांस गिरी एरिया का आम आदमी पढ़ा लिखा और बुद्धिजीवी भी है।

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