मोदी जी : नुकसान का मुआवजा जल्दी दें।

सर्दियां दस्तक दे चुकी हैं।

मोहिन्द्र प्रताप सिंह राणा

मोदी जी आप हमेशा कहते हैं कि हिमाचली मेरे दिल के करीब हैं और हिमाचल मेरा दूसरा घर है। आपकी यह बात हमें सच दिखाई भी देती है। जब भी आप विदेश यात्रा पर जाते थे या विदेशी हस्तियां हमारे यहां मेहमान होते हैं, तो आप हिमाचली टोपी खुद भी पहनते थे और मेहमानों व होस्ट कंट्री के मुखिया को भी सम्मान के रूप में भेंट करते रहे ,चंबा रुमाल, कुल्लवी टोपी, कांगड़ा की पेंटिंग व कांगड़ा टी, किन्नौरी शॉल, शिमला का सेब , मंडयाली धाम से उन्हें नबाजते रहे लेकिन आज जब हम हिमाचली अप्रत्याशित व अति भयानक आपदा में फंसे हैं तो आपकी सरकार और आपने हिमाचलियों से नजर फेर ली और जुवान सिल ली ।
मोदी जी जिस कुल्लवी टोपी को आप पहनते रहे और मेहमानों को भेंट करते रहे हैं । उसको बनाने वाले कारीगरों का साजो-समान, घर-बार भारी बारिश में बह गया है। चम्बयाली रुमाल बनाने वाले कारीगरों के आंसू उस रुमाल में समा नहीं पा रहे हैं। कांगड़ा पेंटिंग बनाने वाले के घर, जमीन, खेत, रंगशाला सब बाढ़ पानी में डूबे गया, शिमला के सेब का रस और रंगत भारी बारिश में फीकी पड़ गई, मंडयाली धाम का ज़ायका जिस देग, देगची , कढ़ाई ,कड़छी, थाली में परोसी या बनती थी वह सब अप्रत्याशित बाढ़ में बह गई, उसे बनाने वाले लोग टेंटों, स्कूल, सराय में रहने को मजबूर हैं । किन्नौरी शाल जिसे आप महान हस्तियों के कंधे पर रखकर गौरवान्वित महसूस करते थे उसको बनाने वाले हुनरमंदों का गुणगान करते थे उनका हथकरघा, भेड़-बकरी घर-बार सब भारी बरसात में हुए भूस्खलन में दब गया और वह स्वयं शाल के बिना ठंड से ठिठुरनें लगे है। सिरमौरी लोईया जिसे आप पहन कर हाटी समुदाय से आत्मीयता का रिश्ता स्थापित करते रहे वह लोईया बनाने वाले की तकली, चरखा, खड्डी, घर- घराट सब जुलाई -अगस्त की भारी बारिशों में तबाह हो गया। हम सब की मदद करना तो दूर की बात है आप तो नुकसान का मुआवजा समय पर ना देकर अपना दायित्व भी नहीं निभा रहे हैं।
मोदी जी, भयंकर बारिश में हुई अप्रत्याशित तबाही को को हुए 5 महीने होने को आ रहे हैं ,सर्दियों का मौसम आ गया है । पहाड़ों पर बर्फ पड़ने लगी ,पहाड़ी अगले चार-पांच महीना का राशन-पानी, कपड़ा-लता, भेड़ बकरियों व पशुओं का चारा इकट्ठा कर लेता है । बिडम्वना यह है कि उस सब को रखने के लिए उसे घर, स्टोर या भंडारण की जगह चाहिए लेकिन उसके पास यह कुछ बचा ही नहीं है।
आपकी पार्टी के प्रांतीय शीर्ष नेता बार-बार प्रदेश सरकार की आड़ में आपको भी चेता रहे हैं कि हजारों लोग टेंटों में रह रहे हैं। पहाड़ की सर्दियों टेंटों में नहीं काटी जा सकती हैं , यह आप भी भलीभांति जानते हैं। आप और किसी की बात सुनो या ना सुनो आप अपने प्रांतीय नेताओं की ही बात तो सुन लो और हिमाचलियों को आपदा में हुए उनके नुकसान का मुआवजा, जो आपके सरकारी गणित व कानून के अनुसार बनता है, उसे तो रिलीज कर दो।
मोदी जी अगर आप आपदा प्रभावित क्षेत्रों को राजनीतिक दृष्टि से भी देखें तो आपदा में सब से ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में अधिकतर लोग बीजेपी समर्थक हैं । हिमाचल में मंडी व कुल्लू जिलों में आपदा ने सबसे भयंकर तबाही मचाई है और इन जिलों के लोगों ने 2022 के विधानसभा चुनावों में जमकर भाजपा को वोट दिया है। यहां की 14 विधानसभा सीटों में से 11 भाजपा को दी और इन 11 सीटों में से कई सीटों पर भाजपा ने 60 से 70% ज्यादा वोट लिया है इन 70% लोगों में सत प्रतिशत लोग आपदा से प्रभावित हैं। हम सभी हिमाचली अपना पेट काटकर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं लेकिन आप हमारे नुकसान का मुआवजा, जो हमारा हक है, भी नहीं दे रहे हैं।
मोदी जी आप तो इन पहाड़ों में रहे हैं ,घूमे हैं तो आप पहाड़ों की प्रवृत्ति से भी भली भांति परिचित होंगे। पहाड़ की प्रवृत्ति है कि वह अपने को कष्ट में रखकर भी वह सबको अपनाता है लेकिन जब जिस वस्तु, पदार्थ, मिट्टी पत्थर, मिनरल या पानी को त्याग देता है उसे पुनः कभी नहीं अपनाता है। पहाड़ की यह प्रवृत्ति पहाड़ियों के स्वभाव में भी रची बसी है।
मोदी जी आपकी सरकार द्वारा नुकसान के मुआवजे का पैसा समय पर ना देना हिमाचलियों के मन मस्तिष्क में कई शंकाओं को उभार दे रहा है। लोग चर्चा कर रहे हैं की उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए आप लगातार वहां की सरकार व प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं और हर मदद पहुंचा रहे हैं, जो बिल्कुल सही है और आपका राजधर्म भी। लेकिन आपने इस राजधर्म को उन 400 से ज्यादा हिमाचली परिवारों के साथ नहीं निभाया जिनके अपने आपदा के मलबे नीचे दबकर या आफत के पानी में बह गये। आप इस दायित्व को उन 6000 हिमाचलियों के साथ भी नहीं निभा रहे है जिनके घर-बार आपदा में तबाह हो गए हैं। आपने उनके लिए दो शब्द सहानुभूति और एक फूटी कौड़ी की,जैसे की हिमाचल सरकार दावा करती है, मदद नहीं की । सैंकड़ों डॉक्टर सिल्क्यारा सुरंग के बाहर तैनात कर दिए गए हैं, जो प्रशंसनीय है और फंसे मजदूरों व उनके परिवार जनों के लिए उत्साह बढ़ाने के लिए सही कदम है, परंतु आपदा में फंसे हिमाचलियों के लिए आपने दवाई की एक गोली तक नहीं भेजी। यह यक्ष प्रश्न 75 लाख हिमाचलियों को कचोट रहे हैं ! मोदी जी इन यक्ष प्रश्नों के उत्तर मुआवजे की पोटली में छुपे पड़े हैं जो आपके पास पड़ी है। मुआवजे की उस पोटली को हिमाचल को जल्दी दे दें ताकि हिमाचलियों के मन में घर करती शंकाएं सच्चाई ना बन जाऐं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *