नामांकन पत्र वापस लेने की समय अवधि खत्म होने के बाद शिमला नगर निगम चुनाव की रणभूमि सज गई है। 102 रणबांकुरे मैदान में उतरे हैं। शुरुआती राजनीतिक माहौल से ऐसा आभास हो रहा था कि सीपीएम और आप (आम आदमी पार्टी )इस बार नगर निगम चुनाव में सियासी रोमांच पैदा करेंगी परंतु सीपीएम जो कांग्रेस और भाजपा को सीधे चुनाव में धूल चटा चुकी है, इस बार हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में मिले घावों को चाटती नजर आई और मात्र 4 प्रत्याशी मैदान में उतारते-उतारते दम तोड़ गई। आप (आम आदमी पार्टी) को हाल ही में राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे से मिली ऑक्सीजन के बाद भी 24 उम्मीदवार देते देते हांफ गई। दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा ने अपने 34 योद्धाओं को टट्टूओं पर बैठाकर अरबी घोड़ों पर सवार कांग्रेसी सियासी शूरवीरों के सामने झोंक दिया।
प्रजातंत्र में कोई भी चुनाव प्रजा के लिए दिलचस्प व हितकारी तब होता है जब दोनों, तीनों या चहुंओर से बराबर के उम्मीदवार हों, उनमें श्रेष्ठ संवाद, उत्तम विवाद और उससे (जनता) जुड़े मुद्दों का जबरदस्त मंथन हो। ऐसा मंथन जिसकी लहरों का उछाल आसमान छूने का प्रयास करे और धरातल में दबे मसलों के हल को बाहर लाए। भाजपा अभी विधानसभा चुनावों की थकान से उभरी नजर नहीं आई है।
थकी हारी भाजपा ने शिमला नगर निगम चुनावों में शुरू से ही एक ऐसी रणनीति का छोर पकड़ा है जो कदम दर कदम उसे हार की ओर ले जा रहा है। भाजपा ने, नगर निगम चुनाव क्षेत्र के वोटरों पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज को दरकिनार कर पांटवा के वरिष्ठ भाजपा नेता सुखराम चौधरी को कमान सौंप दी । चौधरी का शिमला नगर वासियों से दूर-दूर का भी कोई संबंध नहीं रहा है, यहां तक की यहां पर रहने वाले सिरमौरयों के साथ ही उनका भाषाई या सांस्कृतिक तालमेल भी नहीं है। भाजपा ने उम्मीदवारों का चयन करते समय अपने-पराए व सियासी उपयोगिता को आधार बनाया ना कि जीत की योग्यता को । आरती चौहान ,किमी सूद व कुछ अन्य जिताऊ उम्मीदवारों को जेंडर के आधार पर बाहर कर दिया।
भाजपा के बड़े नेता चुनावी खुमार चढ़ने से पहले ही बीमारी की गिरफ्त में आ गए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप चुनाव के बीच ही अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को थमा कर स्वास्थ्य लाभ के लिए लेट गए। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम करोना पोस्टिव हो गए। अब चुनाव प्रभारी श्रीकांत व चुनाव प्रबंधक सुखराम चौधरी व दूसरी पांत के कुछ अन्य नेता नगर निगम में एक आभासी लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस एकजुट एकमुठी होकर चुनाव मैदान में।
कांग्रेस नगर निगम के चुनाव को बहुत गंभीरता से ले रही है ।नामांकन पत्र वापसी के उपरांत कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा सिंह व कुछ अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री के साथ उनके कार्यालय में चुनावी रणनीति की पूरी रूपरेखा तैयार की है । यूं तो कांग्रेस ने 34 वार्डों को 8 सेक्टर में बंटा है परंतु इसके पांच मुख्या नेता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और विधायक हरीश जनारथा हाथ की पांच उंगलियाँ एक मुट्ठी बनकर इस चुनाव की जीत को ऐतिहासिक बनाने के लिए काम कर रहे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सभी 34 वार्डों में चुनाव प्रचार करेंगे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ठाकुर कुसुंपट्टी के 12 वार्ड में, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण के 3 वार्डों में और शिमला शहर के 19 वार्ड में प्रतिभा सिंह और विधायक हरीश जनारथा को कांग्रेसी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को नगर निगम चुनाव में एक विशेष भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सुखविंदर सिंह ठाकुर ने दी है।
सीपीएम और आम आदमी पार्टी की रस्म अदायगी चुनौती
सीपीएम जो शिमला शहर में अपनी मौजूदगी हर वक्त हर मुद्दे पर दर्शाती रही है और आम आदमी पार्टी जो पहाड़ चढ़ने के लिए बार-बार प्रयास करती आ रही है पर हैदर अली आतिश का शेयर बिल्कुल फिट बैठता है:
“बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक कतरा-ए- खूं न निकला”
मौजूदा राजनीतिक माहौल में नगर निगम चुनावों की लड़ाई एक तरफा नजर आ रही है ।अब देखना यह है कि भाजपा इस लड़ाई को दिलचस्प मोड़ तक खींच पाती है कि नहीं?
काफी हद तक सही आकलन किया है । मगर अतिआत्मविश्वास कांग्रेस पार्टी की जीत का रोड़ा बन सकता है ।