नई पीढ़ी पर भरोसा कर सकता है हिमाचल?

बजट सत्र के पहले दिन पक्ष, विपक्ष ,अध्यक्ष और फर्स्ट टाइमर विधायकों ने संक्षिप्त चर्चाओं , विरोध, गतिरोध और विमर्श से संकेत दिए हैं कि वह प्रदेशवासियों के भरोसे लायक हैं। सदन में शोकोद्गार  के उपरांत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार  ने नियम 67 के अंतर्गत सब काम रोककर विधायक निधि को जारी करने की चर्चा मांगते हुए सरकार को सावधान किया कि विपक्ष लोगों के हितों व हकों की रक्षा करेगा। विपक्ष ने सरकार व अध्यक्ष पर दबाव  बना के लिए नारेबाजी की और अध्यक्ष और सत्तापक्ष पर दबाव बनाया। परंतु अनुभवी विधानसभा अध्यक्ष ने चातुर्य से यह कह कर शांत किया की सबको अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा और दिया भी परंतु नियमों के अंतर्गत। सत्ता पक्ष की ओर से उप-मुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने विपक्ष के दबाव को जयराम सरकार की आर्थिक फ्रंट नाकामी का हवाला देते हुए कड़ा प्रहार कर विपक्ष को ही घेर लिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी विपक्ष को स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार दबाव में नहीं अपितु तर्क, विमर्श और आर्थिक अनुशासन से चलकर विरासत में मिली लचर व्यवस्था को बदलेगी। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री आर्थिक अनुशासन के दावे को झूठलाते हुए कहा की जिस तरह से मंत्री पदों को बांटा जा रहा है उससे आर्थिक अनुशासन के संकेत तो नहीं मिलते। नेता प्रतिपक्ष  जयराम सत्तापक्ष द्वारा उठाए  आर्थिक बदहाली के मुद्दे पर बचते नजर आए परन्तु विपिन परमार हमलावर  रहे।

          कांग्रेस पार्टी के फर्स्ट टाइमर विधायक चैतन्य ठाकुर,केवल सिंह पठानिया,नीरज नैयर, सोलंकी और विनोद सुल्तानपुरी ने बड़सर के विधायक इंद्रदत लखनपाल लखनपाल द्वारा नियम 130 में वनो को आग बाढ़ और अवैध कटान से बचाने के प्रस्ताव बोलते हुए प्रदेश के संवेदनशील विषयों पर अपनी दूरदर्शिता व गांभीर्य का प्रभावशाली परिचय दिया।  नई पीढ़ी ने यह संदेश देने का ठोस संकेत दिया कि वह प्रदेश के सभी संवेदनशील मुद्दों के सूत्र को भी जानते हैं और छोर भी ।

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