मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पहले बजट का आंकलन किया जाए तो यह बजट रोजगार उन्मुखी है। इस बजट में प्रदेश का राजस्व बढ़ाने की बड़ी व सराहनीय पहल की है। सुक्खू ने इस बजट के द्वारा लंबी राजनीतिक पारी खेलने की मजबूत आधारशिला भी रखी है।  सरकार के पहले बजट में प्रदेश को  “ऋण आश्रय की नीति” से निकालकर आर्थिक स्वाबलंबन की राह पर ले जाने का दृढ़ संकल्प नजर आता है। यद्यपि यह डगर बहुत ही कठिन है परंतु असाध्य नहीं। सुक्खू सरकार ने इस राह पर चलने के लिए नन्हें लेकिन ठोस कदम उठाए हैं। बजट में सभी वर्गों एवं विभागों का ध्यान रखा है। बड़ी परियोजनाओं व नऐ ढांचे तैयार करने की वजाए  एक्जिस्टिंग संस्थाओं को मजबूत करने व गुणात्मक बनाने पर जोर दिया गया है, जो समय की मांग भी है। पूर्व सरकारों की “आगे दौड़ पीछे चौड़” वाली नीति से हटकर कांग्रेस सरकार ने पुराने संस्थानों को मानव संसाधन व आधुनिक तकनीक से लैस कर प्रदेश की जनता को रोजमर्रा की दिक्कतों से मुक्ति दिलाना इस बजट का मुख्य केंद्र बिंदु है। 
बजट रोजगार उन्मुखी है।
   बजट में किसान ,बागबान और नौजवान को खेत खलियान, पशुपालन, मत्स्य पालन, सौर ऊर्जा व हरित ऊर्जा में संपूर्ण व सम्मानजनक धन अर्जित करने के अवसर व पूंजी उपलब्ध करवाने के प्रावधान है। पर्यटन के क्षेत्र में “पर्यटक ग्राम योजना” को मूर्त रूप देने के लिए प्रदेश के युवाओं को पर्यटन संबंधी हुनर सिखाने के लिए हिमाचल प्रदेश कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत वाकनाघाट में पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की जा रही है। प्रदेश में विभिन्न नौकरियां प्राप्त करने के लिए युवाओं को उत्कृष्ट प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की पहुच के  साथ-साथ पुस्तकालयों के निर्माण की सोच इस बजट में है।  अभी तक युवाओं को प्रतिस्पर्धी नौकरियों में जाने की तैयारी के लिए शहरों में जाना पड़ता है, जहां उसे लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

बजट में रोजगार के अवसर हिम उन्नति योजना, हिमगंगा योजना, हिमाचल प्रदेश शिवा योजना, मत्स्य पालन में आर ए एस  कस्टम हेरिंग सेंटर, हिम ईरा योजना, अमृत सरोवर योजना, ईसीएस योजना, मुख्य मंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना, पी डब्लयु एम यू योजना, राजीव गांधी स्वराज योजना, यूनिटी मॉल अन्य योजनाएं मं तलाशे गए हैं ।इन योजनाओं में हजारों नौजवान सम्मानजनक रोजगार पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त सुक्खू सरकार ने 25000 फंक्शनल पोस्टों को भरने का भी बजटीय प्रावधान के साथ घोषणा करना एक बड़ा कदम है। हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों में साल में दो बार रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे यह मेले युवाओं को रोजगार तो प्रदान करेंगे ही साथ में निजी क्षेत्र में नौकरी करने का माहौल भी तैयार करेंगे।

कृषि बागवानी और पशुपालन को प्रोफेशनल, लाभदायक और आधुनिक बनाने के लिए “स्टार्टअप योजना” के अंतर्गत बजट में अनेकों प्रोत्साहन देते हुए  एसपीओ व एफआईजी को बैंकों के माध्यम से 2% ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। पशुपलकों को ट्रू कॉस्ट बेस” कीमत दिलवाई जाएगी । पशु अस्पतालों में बेहतर इलाज की आधुनिक सुविधाएं प्रधान की जाएंगी।
शिक्षा को गुणात्मक बनाने की पहल
    शिक्षा के क्षेत्र में स्कूली शिक्षा ,तकनीकीशिक्षा व उच्च शिक्षा में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा संस्थानों का चेहरा और चरित्र बदलने के साथ-साथ मेधावी व कमजोर वर्ग के छात्रों को विभिन्न प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया है। + 2 स्कूलों में लाइब्रेरी,लैब व खेल का मैदान और शिक्षकों को तैनात किया जाएगा। आईटीआई संस्थानों के पाठ्यक्रम को वर्तमान जरूरतों के अनुरूप किया जाएगा । 762 स्कूलों में आईसीटी योजना लागू किए जाने का बजटीय प्रावधान है। सभी स्कूलों की  सभी श्रेणियों के छात्रों को डैक्स उपलब्ध किए जाएंगे ।

      स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवस्था को सुचारू व सुलभ किया जाएगा

प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में आपातकालीन सेवा देने वाले कैजुअल्टी विभाग को अपग्रेड करके एमरजैंसी मेडिसिन विभाग बनाने के लिए 50 बिस्तरों की क्षमता वाला सीसीयू का निर्माण और मरीजों के अनुपात में डॉक्टर ,नर्स ,विशेषज्ञ और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। हर विधान

सभा क्षेत्र में “आदर्श स्वास्थ्य संस्थान” विकसित किए जाएंगे। इन संस्थानों में विशेषज्ञ और अन्य स्टाफ सहित 134 तरह की लैबोरेट्री जांच सुविधाएं आवश्यकता अनुसार एम आर आई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और डिजिटल x-ray उपलब्ध करवाने का बजट में प्रावधान किया है। स्वास्थ्य सुविधाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है

राजस्व बढ़ाने के प्रयास

बजट में जहां राजस्व बढ़ोतरी के लिए जल विद्युत परियोजनाओं पर “जल उपकर” ,शराब के ठेकों की नीलामी और 10 रूपए पर प्रति शराब की बोतल पर “दूध उपकर” का प्रावधान करना सराहनीय है वहीं प्रशासनिक खर्चों में कमी करने को एकदम नजर अंदाज करना बजट में सबसे बड़ी चूक है 1989-90 के वित्त आयोग ने प्रदेश की वित्तीय ग्रांट इसलिए कम कर दी थी कि हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रशासकीय खर्चे अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक हैं। इस तरह की टिप्पणियाँ व वित्तीय कटौती उत्तरोत्र  वित्त आयोग करते आ रहे हैं। व्यवस्था बदलने की नियत से आई सुक्खू सरकार को प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लिए या कड़ा कदम उठाने का सहास अपने पहले बजट में करना चाहिए था।

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