हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे केंद्र सरकार।

ज्ञान ठाकुर
शिमला, 28 अगस्त।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने वीरवार को एक स्वर में यह मांग उठाई कि मौजूदा मॉनसून सीजन में आई भीषण प्राकृतिक आपदा को केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित करे। इस प्रस्ताव को संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 102 के तहत सदन में रखा, जिस पर हुई लंबी बहस और तर्कों के बीच अंततः प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। खास बात यह रही कि विपक्षी दल भाजपा ने भी इसका समर्थन किया, हालांकि चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के जवाब को लेकर भाजपा विधायकों ने विरोध जताते हुए नारेबाजी और हंगामा किया।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि इस प्रस्ताव का सर्वसम्मति से पारित होना हिमाचल की जनता की आवाज है। उन्होंने कहा कि चाहे केंद्र सरकार इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे या न करे, लेकिन इस सदन से देशभर को स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि हिमाचल मदद का सच्चा हकदार है। नेगी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि बार-बार आ रही आपदाओं के बावजूद हिमाचल को अनदेखा किया जा रहा है और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 की भीषण आपदा के दौरान भी भाजपा ने हिमाचल का साथ नहीं दिया था। आज भी भाजपा केवल हंगामे तक सीमित है, जबकि केंद्र से राहत लाने में नाकाम रही। नेगी ने स्पष्ट किया कि चंबा जिले में भुखमरी जैसी स्थिति नहीं है, बल्कि सरकार राहत-बचाव कार्य में पूरी ताकत से लगी हुई है। उन्होंने बताया कि भरमौर से आज 38 लोगों को हेलीकॉप्टर द्वारा सुरक्षित निकाला गया, चंबा में चार हेलीकॉप्टर और कुल्लू में एक हेलीकॉप्टर राहत कार्यों के लिए तैनात हैं।

प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने की। उन्होंने कहा कि यह आपदा हिमाचल ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के कई राज्यों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने दीर्घकालिक समाधान की बात करते हुए कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ों का चीरहरण रोकना होगा और सुरंगों पर आधारित सड़क निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने खुलासा किया कि विभाग को अब तक 1444 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। साथ ही, कुल्लू घाटी से पंडोह डैम तक सेब की ढुलाई जलमार्ग से करने की योजना पर भी विचार हो रहा है।

ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नदियों और नालों की ड्रेजिंग को तत्काल आवश्यक बताया। उनका कहना था कि हर वर्ष की आपदाओं से नदी-नालों की सतह ऊंची हो रही है, जिससे पानी तटों से बहकर तबाही मचा रहा है।

चर्चा में विधायक इंद्रदत्त लखनपाल, सुरेंद्र शौरी, नीरज नैय्यर, डॉ. जनक राज, अनुराधा राणा और डॉ. हंस राज ने भी हिस्सा लिया।

ध्यान देने योग्य तथ्य यह रहा कि नियम 102 के तहत यह प्रस्ताव जिस सहजता और उत्पादकता से पारित हुआ, वह पूर्व में 18 घंटे 10 मिनट तक चली नियम 62 की आपदा चर्चा से कहीं अधिक सार्थक और परिणामोन्मुखी सिद्ध हुआ।

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