हमने ही सबसे पहले मोर्चा संभाला, झूठी राजनीति बंद करो – सुक्खू

ज्ञान ठाकुर
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का पहला दिन प्राकृतिक आपदा पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ गया। विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी तो दी, लेकिन चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आमने-सामने भिड़ गए।
चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सीधा वार किया—
“सुक्खू सरकार अपनी ही आपदा में फंसी हुई है, इसलिए प्रदेश की असली आपदा से जूझने की क्षमता खो बैठी है। राहत कार्य कछुए की चाल से चल रहे हैं और सरकार केवल घोषणाओं की राजनीति में व्यस्त है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राहत मैनुअल में संशोधन कर विशेष पैकेज की बात तो कर दी गई, लेकिन प्रभावितों तक राहत पहुँची ही नहीं। सराज का हवाला देते हुए जयराम ने कहा कि वहां 31 लोग काल का ग्रास बने, 500 करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन सरकार ने महज़ दो करोड़ रुपये जारी कर औपचारिकता निभाई। उन्होंने तंज कसा कि “आपदा को रूटीन की तरह लेना इस सरकार की सबसे बड़ी भूल है।”
जयराम ठाकुर ने कांग्रेस नेताओं पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि आपदा के नाम पर ठेकेदारों व कार्यकर्ताओं के जेबें भरी जा रही हैं। भाजपा और स्थानीय लोगों द्वारा अपने खर्च पर लगाई मशीनरी के बिल तक कांग्रेस नेता अपने नाम से चढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डेढ़ माह बाद भी सराज में सड़कें ठप हैं और जनता दर-ब-दर की ठोकरें खा रही है।
थुनाग बागवानी कॉलेज को शिफ्ट करने पर भी जयराम ने सरकार को घेरा—
“आपदा को बहाना बनाकर संस्थान को उखाड़ना सरकार की निम्न सोच है। विरोध करने वालों पर एफआईआर दर्ज करना बदले की राजनीति की निशानी है।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए याद दिलाया कि मंत्री खुद किन्नौर में काले झंडे झेल चुके हैं और लाहौल-स्पीति में उनकी गाड़ी पलटने तक की कोशिश हुई थी, लेकिन वहाँ जनता पर मुकदमे नहीं ठोके गए थे।
नेता प्रतिपक्ष ने करारा तंज कसा—
“आज सरकार के लिए काम करना जरूरी नहीं, बल्कि काम बंद करना ही उसकी नियति बन चुकी जयराम ठाकुर ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा—
मुख्यमंत्री का पलटवार
मुख्यमंत्री सुक्खू ने विपक्ष के वारों का करारा जवाब देते हुए कहा
आपदा के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचने वाला व्यक्ति मुख्यमंत्री ही था। उपमुख्यमंत्री, मंत्री, डीसी, एसपी—सबको राहत और बचाव में झोंक दिया गया। यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष को भी हमने अपने खर्चे पर एनडीआरएफ का हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाया। फिर कैसे कह सकते हैं कि सरकार ने सराज की उपेक्षा की?
सुक्खू ने विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा—
जिन्हें जनता की पीड़ा पर राजनीति करनी है, वे आंकड़ों का खेल खेलें। लेकिन हमारी सरकार राहत कार्य युद्धस्तर पर कर रही है। सराज पैकेज अब पूरे प्रदेश में लागू किया गया है। भाजपा को चाहिए कि आलोचना के बजाय सहयोग करे।
मुख्यमंत्री ने बागवानी कॉलेज विवाद पर स्पष्ट किया कि कॉलेज मंडी से बाहर नहीं, नाचन में शिफ्ट किया गया है, जो उसी जिले का हिस्सा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहाभाजपा को जब जनता काले झंडे दिखाती है, तो वे उसे लोकतंत्र कहते हैं, और जब लोग कांग्रेस के खिलाफ विरोध जताते हैं, तो एफआईआर का राग अलापते हैं। दोहरी राजनीति नहीं चलेगी।
सदन का माहौल गरमा गया।
दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक से सदन का माहौल गरमा गया। कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर ने सरकार के पक्ष में तर्क दिए, तो भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने जयराम का समर्थन कर माहौल को और तल्ख़ बना दिया।
विधानसभा का यह स्थगन प्रस्ताव चर्चा से ज्यादा सत्ता और विपक्ष की सियासी ताकत आज़माने का अखाड़ा बन गया—जहां राहत और पुनर्वास की पीड़ा के बीच भी राजनीतिक तीर-बाण जमकर चले।