कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह ने आज एक प्रेस वार्ता में केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि जो कांग्रेस नेता व पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की जल्दबाजी मोदी सरकार ने की है वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरा प्रहार है। केंद्र की भाजपा सरकार की जल्दबाजी यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी राहुल गांधी द्वारा सांसद में पूछे कुछ सवालों से बौखला गए व राहुल गांधी की आवाज को दबाने के लिए इस तरह के अलोकतांत्रिक कदम उठा रहे हैं।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा भी पत्रकार वार्ता में रखा और बताया कि कब राहुल गांधी ने लोकसभा में प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछे कि उनका व अडानी का क्या रिश्ता है ? 20000 करोड रुपए किसकी शेल कंपनी ने अडानी के व्यापार में डाला ? मेहनतकश लोगों के खून पसीने की कमाई जो लोगों ने एलआईसी कंपनी में निवेश की थी उसका 37000 करोड़ रूपया क्यों बिना सोचे समझे अदानी समूह में निवेश किया ? उन्होंने कहा कि इसी तरह राहुल गांधी ने एसबीआई बैंक का 27000 करोड़ रुपए भी अदानी समूह कंपनी में निवेश किया।

प्रतिभा सिंह ने कहा कि यह प्रश्न जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मंत्री से पूछे तो उसके तुरंत बाद 3 साल पुराने एक केस को, जो गुजरात के एक पूर्व विधायक ने किया था, उस पर तत्काल कार्यवाही की और चंद ही दिनों में फैसला सुनाया । आश्चर्य तो यह है कि इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में जो अधिकतम सजा इस तरह के केसों  में दी जा सकती थी वह सजा राहुल गांधी को दी ।  लोकसभा सचिवालय ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया और साथ ही 2 दिन बाद उनको अपना सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दे दिया। प्रतिभा सिंह ने कहा कि सारा घटनाक्रम इस बात का ठोस साक्ष्य है  कि मोदी राहुल गांधी के प्रश्नों से कितने असहज हैं और व उनकी आवाज  दबाने के लिए यह सब कर रहे हैं । परंतु प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रयास सफल नहीं होगा। समूची कांग्रेस पार्टी, यहां तक समूचा विपक्ष (18 विपक्षी दल)भी मोदी सरकार के इस निर्णय का एक सुर में विरोध कर रहे है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर हर गांव व शहर में जा रही है और वर्तमान में फैली तानाशाही के विरोध कर रही है और साथ में जनता को भी जागृत कर रही है।

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