मंत्रिमंडल की बैठक में अनेक जनोपयोगी निर्णय, हर क्षेत्र में संतुलित विकास की पहल

मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज शिमला में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। बैठक में भू-स्थलीय सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मौजूदा योजना में संशोधन को स्वीकृति दी गई।
नव संशोधित योजना का नाम अब “राजीव गांधी स्वरोजगार सौर ऊर्जा योजना” होगा, जिसके अंतर्गत राज्य के मूल निवासियों को सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए ब्याज अनुदान की सुविधा प्रदान की जाएगी। योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में 100 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की परियोजनाओं पर 5 प्रतिशत, जबकि गैर-जनजातीय क्षेत्रों में 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। यह पहल राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने के साथ-साथ स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए द्वार खोलेगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का लक्ष्य हिमाचल को “ग्रीन स्टेट” के रूप में स्थापित करना है, ताकि आने वाले वर्षों में प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकता पूरी तरह से सौर, पनबिजली और हरित स्रोतों से पूरी की जा सके। यह निर्णय न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति देगा।
बैठक में अन्य अनेक जनकल्याणकारी निर्णय भी लिए गए—
परिवहन विभाग को राजीव गांधी स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 40 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 1000 डीजल/पेट्रोल टैक्सियों को इलेक्ट्रिक टैक्सियों से बदलने की अनुमति दी गई, जिससे स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
एसएमसी शिक्षकों, आईटी कंप्यूटर शिक्षकों, मिड-डे-मील कार्यकर्ताओं और अंशकालिक जलवाहकों के मानदेय में वृद्धि को स्वीकृति प्रदान की गई।
राज्य में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना और फसल विविधीकरण परियोजना (जाइका चरण-2) को और सुदृढ़ बनाने हेतु कुशल निगरानी प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया गया।
राज्य में नाहन मेडिकल कॉलेज के विस्तार, नई रेजिडेंट डॉक्टर्स नीति-2025, तथा स्वास्थ्य विभाग में सहायक स्टाफ नर्स की नियुक्तियों के लिए नई नीति तैयार करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति मिली।
मंत्रिमंडल ने पर्यटन निवेश संवर्धन परिषद की स्थापना का भी निर्णय लिया, जिससे पर्यटन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए पारदर्शी और परिणामोन्मुखी तंत्र विकसित होगा।
इसके साथ ही डॉ. यशवंत सिंह परमार विद्यार्थी ऋण योजना में संशोधन कर *स्नातकोत्तर छात्रों को एक प्रतिशत ब्याज दर पर शिक्षा ऋण* देने और आय सीमा को *12 लाख रुपये प्रतिवर्ष* तक बढ़ाने की मंजूरी प्रदान की गई।
इस बैठक के निर्णय हिमाचल सरकार की उस दूरदृष्टि का परिचायक हैं जो “ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण संरक्षण” को एक समग्र नीति के सूत्र में पिरोने का प्रयास कर रही है।
“राजीव गांधी स्वरोजगार सौर ऊर्जा योजना” के माध्यम से राज्य ने न केवल हरित विकास मॉडल को नई परिभाषा दी है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि हिमाचल आने वाले दशक में सतत ऊर्जा और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का सशक्त केंद्र बनने को तैयार है।