स्तंभित विपक्ष चर्चा में तर्कों, तथ्यों बार्हिगमन में चूका
सुक्खू सरकार ने चर्चा की आम हामी भर विपक्ष को उघाड़ा
बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्य सुखराम चौधरी ने सरकार द्वारा विभिन्न संस्थान बंद करने पर नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव पर अध्यक्ष से व्यवस्था मांगी । सत्ता पक्ष से संसदीय कार्य मंत्री ने अध्यक्ष को मामला उच्च न्यायालय में होने का हवाला दिया लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अध्यक्ष को कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। अध्यक्ष ने प्रश्नकाल व अन्य सूचीबद्ध कार्यों को रोक कर विपक्ष द्वारा विभिन्न संस्थानों को बंद करने पर मांगी चर्चा को स्वीकृति दे दी। स्तंभित विपक्ष के सदस्य सुखराम चौधरी ने चर्चा की शुरुआत की। चौधरी ने संस्थानों को बंद करने से लोगों को हो रही असुविधा और बंद किए संस्थानों की गिनती तो करवाई परंतु उन संस्थानों को खोलने की जरूरत के तर्कों, तथ्यों और बजट में किए प्रावधानों पर कुछ नहीं बोला। वह केवल सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों व राज्यपाल को दिए 700000 हस्ताक्षरों का हवाला देते रहे। केवल मात्र चुराह के विधायक हंस राज ने अपने क्षेत्र में बंद किए गए संस्थान को बाहल करने की पैरवी ठोस तथ्यों और तर्को के आधार पर की। अन्य विपक्ष के सभी सदस्यों ने अपना पक्ष चौधरी सुख राम की तर्ज पर ही रखा और तर्क का आधार पूर्व में वीरभद्र सिह द्वारा 2017 में चुनाव से सात दिन पहले 21 कालेजों को ही बनाया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी चर्चा में भाग लेते हुए तथ्यों और तर्कों पर कम बोले। जयराम ठाकुर चर्चा में सरकार को सलाह व सावधान करने में अधिक केंद्रित रहे। जो तथ्य उन्होंने रखें उन पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनकी चर्चा के दौरान ही उनको काटते हुए कहा कि वह सदन को गुमराह ना करने करें और अपने तथ्यों को सही करें ।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ठोस तर्क व तथ्यों के माध्यम से विपक्ष को घेरा।
सत्ता पक्ष ने सरकार द्वारा 920 संस्थानों को बंद करने की अधिसूचना को सही ठहराते हुए तर्कों व तथ्यों की झड़ी लगा दी। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोर देकर कहा जहां-जहां संस्थानों का औचित्य बनता है सरकार उन संस्थानों को बहाल कर रही है लेकिन जो संस्थान केवल वोट बटोरने के लिए खोले गए थे वह सरकार के बंद करने से पहले ही लोगों ने स्वयं अपना वोट भाजपा को ना देकर अस्वीकार कर दिए हैं। सत्ता पक्ष के सदस्य राजेश धर्मानी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली बोर्ड, जल शक्ति अन्य विभागों में खोले गए संस्थानों के बारे में तथ्य रखते हुए कहा कि प्रदेश में 155 कॉलेज में से 119 में प्रिंसिपल ही नहीं। अपने क्षेत्र में खोले गए कॉलेज की स्थिति बताते हुए धर्मानी ने कहा की घंण्डालवीं में जयराम सरकार ने कॉलेज खुला और अध्यापकों की व्यवस्था जो करी वह बहुत ही हास्यास्पद है। घुमारवीं कॉलेज के प्रोफेसर 3 दिन घुमारवीं में पढ़ाएंगे और 3 दिन घंण्डालवीं में पढ़एंगे। यही हालत अन्य विभागों की है + 2 का स्कूल खोला अध्यापक सात और छात्रों की संख्या शून्य।
मुख्यमंत्री ने कहा आवश्यकता आधारित संस्थान खोलेंगे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि उनकी सरकार आवश्यकता आधारित संस्थानों को खोल रही है। उन्होंने कहा पूर्व भाजपा सरकार ने नूरपुर में एसपी का दफ्तर खोलकर एक अधिकारी बैठाया लेकिन मेरी सरकार ने इस दफ्तर की जरूरत को समझते हुए यहां पर 150 अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों को भेज कर इसको सुचारू रूप से चलाया है। इसी तरह चौपाल में अग्निशमन केंद्र को पूरे प्रबंध के साथ खोला है। चुवाड़ी में भी पीडब्ल्यूडी का दफ्तर को जरूरी कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ खोला। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के पचौता में आईपीएच के ऑफिस की आवश्यकता को समझते हुए मेरी सरकार खोलेगी।
मुख्यमंत्री ने भाजपा द्वारा खोले संस्थानों की पोल खोलते हुए कहा कि जयराम सरकार ने 23 कॉलेज खोलने के लिए ₹100000 का प्रावधान किया ।स्वास्थ्य विभाग में 140 संस्थान खोलें और पैसा 9 संस्थानों को ही दिया। शिक्षा विभाग में 455 स्कूल बिना शिक्षकों के और 286 स्कूल में एक भी बच्चा नहीं। 4145 स्कूलों में 1 शिक्षक के सहारे चलाए। उन्होंने जनता से पूछा कि इस तरह के संस्थान खोलना कितना उचित है? यह जनता उनको वोट देकर बता चुकी है। मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष को घेरते हुए कहा कि उनके विधायक उन्हें गलत आंकड़े दे रहे हैं इसका उदाहरण सुंदर नगर में डैहर की पुलिस चौकी है। कुल मिलाकर स्तंभित विपक्ष तथ्यों व तर्कों में तो चूका ही अंत में बार्हिगमन में भी चूक गया। मुख्यमंत्री ने बड़ी चतुराई से अपनी चर्चा खत्म कर दी और विपक्ष से वाकआउट का अवसर भी छीन लिया।