
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा/ ग्राम परिवेश
अगस्त 2025 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में *“वोट चोरी”* के आरोप और फर्जी वोटर लिस्ट के खुलासे के बाद देश की सियासत में भूचाल आ गया। राहुल गांधी ने ठोस उदाहरणों के साथ बताया कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है — कई नाम गलत तरीके से जोड़े या हटाए गए, जिससे चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए।
इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर संसद मार्ग से लेकर चुनाव आयोग तक *शांतिपूर्ण मार्च* निकाला। लेकिन, केंद्र सरकार के इशारे पर पुलिस ने मार्च को रोक दिया और सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस घटना को कांग्रेस ने लोकतांत्रिक इतिहास का *“काला दिन”* करार दिया।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक परंपराओं को कुचलने और विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठाना जनता का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन सच उजागर होने से बौखलाई सरकार दमन के रास्ते पर उतर आई है।
अग्निहोत्री ने दो टूक कहा कि *“सच की लड़ाई को कोई ताकत नहीं रोक सकती, न भारत की आवाज को खामोश किया जा सकता है।”* उन्होंने केंद्र पर सत्ता के दुरुपयोग, पारदर्शिता से भागने और विपक्ष को कुचलने की साजिश के आरोप दोहराए।
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने ऐलान किया है कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर संघर्ष जारी रखेंगे, जनता को सच्चाई से अवगत कराएंगे और फर्जी वोटर लिस्ट व चुनावी धांधली के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। यह घटनाक्रम अब सत्ता बनाम सच की सीधी जंग में तब्दील हो चुका है।