न सरकार पर प्रहार, न लोगों का उद्धार,
हिमाचल के जनमानस, विशेषकर भाजपा समर्थकों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्य सरकार पर कुछ कड़े प्रहार करेंगे और प्रदेश की खस्ता हाल आर्थिकी का उद्धार भी करेंगे। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो आस्था की दिव्य लौ में वोट तलाशते रहे। उन्हें 500 साल पुराने इतिहास का स्मरण रहा, दो दशक पहले पालमपुर का संकल्प याद रहा, लेकिन भूल गए कि जिस मंडी जिला के पड्डल मैदान में खड़े होकर वह भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं, वहां 9 महीने पहले भारी तबाही हुई थी। कुछ लोगों ने अपने खोए हैं और बहुतों ने अपना घर-बार, व्यापार अप्रत्याशित जल बहाव में डूबते देखा था। वह जन सैलाब देखकर अनंत खुशी का इजहार करते रहे परंतु आपदा प्रभावित मंडियालों को ढांढस बंधाना भूल गए। लोग उम्मीद कर रहे थे कि आज प्रधानमंत्री जरूर दो शब्द कहकर उनके जख्मों को सहलाएंगे, परंतु निराश हुए।
भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों में उत्साह था कि मोदी अपने भाषण में हिमाचल प्रदेश सरकार को घेरने का कोई ना कोई अचूक बाण छोड़ेंगे, जो अभी तक उनका प्रदेश का नेतृत्व नहीं कर पाया है। उन्हें भरोसा था कि मोदी आपदा प्रभावित लोगों के जख्मों पर जरूर मरहम लगाएंगे, जिससे ,उन्हें (मोदी) राम अवतार कहने वाली कंगना रनौत की झोली वोटों से भर जाएगी। परंतु मोदी के बाण लक्ष्य से बहुत दूर चले। पंडाल में बैठे लोग, स्थानीय नेता व प्रत्याशी मंच पर निराश दिखाई दिए। युवा जो प्रधानमंत्री को अपना आईकॉन मानते रहे ,आस लगाए हुए थे कि मोदी आज अग्निवीर योजना पर विचार करने का वक्तव्य देंगे। मोदी सेना पर बोले जरूर, उन्होंने फाइटर पायलट, अकादमी, सैनिक स्कूलों की बात की परंतु अग्निवीर योजना पर चुप्पी साध ली। बेटियों की सेना में भर्ती की बात की लेकिन बेटों को स्टार्टअप अपनाने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने हिमाचल सरकार द्वारा चयन आयोग बंद करने पर सरकार को कोसा जरूर, लेकिन बलवती प्रश्न यह है कि मात्र कोस-कसाई से युवाओं को रोजगार मिल जाएगा ? कर्मचारियों के डीए की बात करने से कर्मचारी वर्ग को खुश करने प्रयास किया। फौजियों को वन रैंक वन पेंशन की बात कही, जिस पर एक युवक, जो वहां खड़ा था, ने अपने साथी से कहा कि अब तो सेना में पैंशन का झंझट ही खत्म है, क्योंकि अग्निवीर को न तो पेंशन, न शहीद का दर्जा और स्वास्थ्य सुविधा आदि खत्म हो गई है।
प्रधानमंत्री ने हिमाचल के इतिहास भूगोल पर जमकर चर्चा की परंतु प्रदेश की बदहाल अर्थव्यवस्था जो उनकी ओर मुंह बाए खड़ी है, उससे चतुराई से नजर फेर ली। हमारे प्राकृतिक संसाधनों जल, जमीन और जंगल पर नजर दौड़ाई तो जरूर परंतु इसको लेकर उनका नजरिया क्या है यह बताने से कन्नी काट गए। यहां तक कि हिमाचल के देवी-देवताओं को उनकी तरफ से शीश नवाने का दायित्व भी रैली में मौजूद हिमाचलियों को सौंप गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे तौर पर और लाग लपेट कर भी यह कह दिया कि आपदा के समय जो पैसा उन्होंने प्रदेश सरकार को दिया वह जरूरत से ज्यादा है। परंतु राज्य सरकार ने उसके आवंटन में हेरा-फेरी की है। मोदी ने एक गारंटी जरूर दी कि जब 4 जून को उनकी केंद्र में सरकार बनेगी और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरेगी या गिरा दी जाएगी तो केंद्र सरकार द्वारा आपदा के दिए हुए पैसे का गलत आवंटन करने वाले को सजा दी जाएगी। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी ने आस्था की लौ में आपदा के मलबे में केवल वोट तलाशे। देखना यह है कि मोदी-मोदी के आयोजित, प्रायोजित, सुनियोजित या लोगों के दिल से निकले जयकारों में प्रदेश की बदहाल आर्थिकी का शोर और नौजवानों की अग्निवीर योजना खत्म करने की चीखें दब गई है या नहीं ? इसका परिणाम 4 जून को मिल जाएगा।