
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा/ ग्राम परिवेश
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक पुनर्गठन की प्रक्रिया एक वर्ष से अधिक समय से ठहरी हुई है। प्रदेश कार्यकारिणी का गठन इसलिए टलता जा रहा है क्योंकि शीर्ष नेतृत्व किसी एक नाम पर सर्वसम्मति नहीं बना पाया है। कई बार प्रदेश प्रभारी शिमला आए, प्रदेश के वरिष्ठ नेता दर्जनों बार “दिल्ली दरबार” के चक्कर लगा चुके — मगर कार्यकारिणी की घोषणा अब तक अधर में है।
बीच में हाईकमान की ओर से यह संकेत भी दिया गया था कि इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनुसूचित जाति से होगा। कई नाम उभरे, कुछ उछाले भी गए, परंतु सहमति फिर भी नहीं बन सकी।
अब दिल्ली से जो संकेत मिल रहे हैं, वे बताते हैं कि पार्टी के भीतर की यह लम्बी प्रतीक्षा अपने अंतिम चरण में पहुँच सकती है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के छह वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया है। बताया जा रहा है कि ये सभी नेता कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल से अलग-अलग मुलाकात करेंगे। हर नेता को संगठनात्मक ढांचे पर अपना-अपना खाका (blueprint) रखने का अवसर मिलेगा, और इन्हीं विचार-विमर्शों के आधार पर हाईकमान अब वह नाम तय करेगा जो मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के साथ संतुलन बिठा सके।
दिल्ली बुलाए गए छह नेताओं में तीन सामान्य वर्ग से हैं — पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व राष्ट्रीय प्रवक्ता **कुलदीप राठौर**, शिक्षा मंत्री **रोहित ठाकुर**, और कांगड़ा से विधायक **आशीष बुटेल**। अनुसूचित जाति वर्ग से तीन नाम हैं — विधायक **विनय कुमार**, **सुरेश कुमार**, और **विनोद सुल्तानपुरी**।
इनमें राठौर और सुरेश कुमार संगठनात्मक अनुभव के लिए विशिष्ट माने जाते हैं। राठौर छात्र राजनीति से उभरकर प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि सुरेश कुमार भी जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन में सक्रिय रहे हैं। रोहित ठाकुर अपनी राजनीतिक विरासत और संतुलित नेतृत्व शैली के लिए पहचाने जाते हैं।
हाल में **रोहड़ू के घटनाक्रम** के बाद प्रदेश में संगठनात्मक समीकरणों को लेकर नए संकेत उभरे हैं। पार्टी के भीतर यह भी माना जा रहा है कि हाईकमान अब अनुसूचित जाति वर्ग से अध्यक्ष बनाए जाने के विचार पर पुनर्विचार कर सकता है — क्योंकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पार्टी के लिए यह समुदाय विश्वास का एक अहम आधार है।
कुल मिलाकर, दिल्ली में होने वाली इन बैठकों से हिमाचल कांग्रेस की लम्बे समय से अटकी संगठनात्मक पहेली सुलझने की उम्मीद जगी है।