वैरिएबल स्पीड पम्प स्टोरेज प्लांट (Variable Speed Pumped Storage Plant) एक अत्याधुनिक जलविद्युत प्रणाली है, जो पारंपरिक पम्प स्टोरेज की तुलना में अधिक लचीलापन और दक्षता प्रदान करती है। इस तकनीक में पंप और टरबाइन यूनिटों को ऐसी प्रणाली से जोड़ा जाता है जो उनकी गति (स्पीड) को आवश्यकता अनुसार नियंत्रित कर सकती है, जिससे बिजली उत्पादन और पंपिंग दोनों प्रक्रियाओं में उच्च स्तर का नियंत्रण और अनुकूलन संभव होता है। यह प्रणाली ग्रिड स्थिरता को बेहतर बनाती है और नवीकरणीय स्रोतों—जैसे सौर और पवन ऊर्जा—की आंतरायिकता को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाती है। भारत जैसे विकासशील देश में, जहां ऊर्जा मांग तेजी से बढ़ रही है और नवीकरणीय स्रोतों को प्राथमिकता दी जा रही है, वैरिएबल स्पीड पम्प स्टोरेज तकनीक स्वच्छ, भरोसेमंद और लचीली ऊर्जा आपूर्ति की कुंजी बनकर उभर रही है।
ग्राम परिवेश/मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा

जून 2025 में पहली यूनिट के संचालन के बाद, दूसरी यूनिट की शुरुआत THDCIL की तकनीकी दक्षता, प्रतिबद्धता और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका को रेखांकित करती है। यह पंप स्टोरेज प्लांट ग्रिड स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इस उपलब्धि के अवसर पर केंद्रीय विद्युत सचिव पंकज अग्रवाल ने वर्चुअल माध्यम से यूनिट के संचालन का शुभारंभ किया। उनके साथ अपर सचिव आकाश त्रिपाठी, संयुक्त सचिव मोहम्मद अफजल, एनटीपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह, THDCIL के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. के. विश्नोई, निदेशकगण शैलेंद्र सिंह, भूपेंद्र गुप्ता, सिपन कुमार गर्ग और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
पंकज अग्रवाल ने परियोजना की सराहना करते हुए इसे “तकनीकी उत्कृष्टता और टीम THDCIL की अटूट प्रतिबद्धता” का प्रतीक बताया। उन्होंने ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल की ओर से पूरी टीम को बधाई दी और इस उपलब्धि को मंत्रालय के लिए गर्व का विषय बताया।
एनटीपीसी प्रमुख गुरदीप सिंह ने THDCIL टीम को लगातार दूसरी यूनिट के संचालन के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह प्रगति दर्शाती है कि संगठन लक्ष्य साधने में कितनी संलग्नता से कार्य कर रहा है।
THDCIL प्रमुख आर. के. विश्नोई ने इसे भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने कहा कि 250 मेगावाट की चार रिवर्सिबल यूनिटों के साथ टिहरी पीएसपी 1000 मेगावाट पीकिंग क्लीन पावर का उत्पादन करेगा। चारों यूनिटों के पूर्ण संचालन के बाद टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स देश का सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र बन जाएगा जिसकी कुल क्षमता 2400 मेगावाट होगी।
निदेशक (कार्मिक) शैलेंद्र सिंह ने टीम के योगदान को “मानव शक्ति का समवेत प्रयास” करार दिया और इस परियोजना को जीवाश्म ईंधन आधारित पीकिंग पावर के विकल्प के रूप में स्मार्ट समाधान बताया।
निदेशक (तकनीकी) भूपेंद्र गुप्ता ने इसे THDCIL की तकनीकी दक्षता का प्रमाण बताया और कहा कि यह उपलब्धि भारत की नेट जीरो प्रतिबद्धताओं की दिशा में भी बड़ा योगदान है।
निदेशक (वित्त) सिपन कुमार गर्ग ने संयंत्र को “ग्रिड स्थिरता का आधार और दीर्घकालिक आर्थिक लचीलापन” बताया।
परियोजना में प्रमुख तकनीकी सहयोग वैश्विक ऊर्जा नवोन्मेषक कंपनी GE Vernova द्वारा किया गया, जिसने उच्च-प्रदर्शन टर्बाइन, जनरेटर और डिजिटल नियंत्रण प्रणाली उपलब्ध करवाई। इससे भारत में जलविद्युत के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने में मदद मिली।
इस अवसर पर THDCIL के कार्यपालक निदेशक (टिहरी कॉम्प्लेक्स) एल. पी. जोशी, कार्यपालक निदेशक (प्रभारी NCR) नीरज वर्मा, GE Vernova, HCC और विद्युत क्षेत्र के अन्य हितधारक भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि THDC इंडिया लिमिटेड की इक्विटी में एनटीपीसी और उत्तर प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी है।