सवारियों को आधे सफर में छोड़ गई बस विरोध के बाद आई वापस
शिमला : हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के लोकल बस रूटों के ड्राइवर कंडक्टर अक्सर सप्ताहांत के दिनों में मनमानी करते हैं साथ ही यात्रियों को भी तंग करते हैं। वह रास्ते से सवारियों को चढ़ाने उतारने में उतावलापन दिखाते हैं। निर्धारित समय से पहले बस स्टॉप से निकल जाते हैं सवारी विशेषकर वह सवारी हैं जो ऑफिस में काम करती हैं इन बसों से अपने घर पहुंचती हैं बस को नहीं पकड़ पाती है। अगर कोई सवारी कंडक्टर या बस ड्राइवर को ऐसा करने से रोकता है तो उनके साथ अभद्रता करते हैं कई बार तो ड्राइवर कंडक्टर सवारियों को निर्धारित गंतव्य से पहले ही जबरदस्ती उतार देते हैं और वापस शिमला चले जाते हैं। ऐसा ही एक वाक्य 28 जुलाई 2023 को घटा।
चनावग रूट की बस आज 28 जुलाई, शुक्रवार को करीब 30 सवारियों को बीच सफर में छोड़ गई। परेशान व घबराई स्कूल व कॉलेज की बच्चियों व सवारियों के अनुरोध के बाद भी ड्राइवर व कंडक्टर बस वापस ले गए और चनावग की सवारी को ग्लू में उतार दिया । यह वाकया चनावग रूट के लिए नया नहीं है इस रूट की सवारियां लंबे समय से ऐसी परेशानियां झेल रही है। यह जानकारी परेशान सवारियों में से प्रकाश, ताराचंद, पूनम, मालती, भगत राम, देवकी देवी, मनोहर, सुनीता, खुशबू, दिव्या, डिम्पल, अजय, साक्षी व अन्य ने दी। उन्होंने कहा एचआरटीसी यूनिट दो की दोपहर को वाया धामी चनावग जाने वाली बस में कंडक्टर ने चनावग की सवारियों का यह कहकर गलू स्टेशन तक का ही टिकट बनाया कि गलू से आगे दोबारा टिकट बनेगा।
गौरतलब है कि गलू स्टेशन से लिंक रोड से मलावण तक यह बस सवारियां छोड़ कर चनावग जाती है। सवारियों ने बताया कि गलू स्टेशन में बस कंडक्टर ने चनावग की सवारियों का सामान बस से बाहर धकेल दिया। परेशान सवारियों ने बताया कि करीब 5 बजे बस मलावण से वापस गलू स्टेशन पहुंची। उन्होंने बताया गलू पहुंच कर बस ड्राईवर व कंडक्टर ने बताया कि बस का टायर पंचर है बस चनावग नहीं जाएगी लेकिन ड्राईवर बस को वापस शिमला की ओर ले गया। गलू स्टेशन में छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग, लड़कियां व महिलाएं करीब 30 सवारियां परेशान खड़ी रही। इसी तरह चनावग स्टेशन पर भी शिमला आने वाली सवारियां परेशान रही।
सवारियों ने बताया कि इस रूट पर बार-बार आने वाले ड्राइवर-कंडक्टर ऐसा करते हैं। करीब एक सप्ताह पहले भी यह बस गलू से चनावग नहीं आई थी। उन्होंने बताया कॉलेज की लड़कियां इसी बस से वापस घर जाती है कुछ लड़कियों को अपने स्टॉपेज से करीब 7 किलोमीटर पैदल हरशिंग धार व दाड़वाकोट जंगल के रास्ते घर पहुंचना होता है। काबिलेजिक्र है कि यह इलाका भालुओं के जानलेवा हमलों से खौफजदा है, देर शाम को पैदल सफर करना यहां जोखिम भरा है। पूर्व में राहगीर भालुओं के हमलों में अपनी जान गवां चुके हैं।
इस बाबत एचआरटीसी यूनिट दो के आरएम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सवारियों के लिए बस भेजी जाएगी और यदि बस चालक परिचालक दोषी पाए गए तो उन्हें सस्पेंड किया जाएगा।