300 बच्चों लेखन सामग्री व महिलाओं बंटे सेनेटरी पैड

अपने शैशव काल में ही हंसवी , एनजीओ, एक गैर सरकारी संगठन है,  ने बेसहारा व दिहाड़ी-मजदूरी करने वाली महिला जो निजी स्वच्छता से अनभिज्ञ हैं, का हाथ थाम लिया। हंसवी ने विगत अढ़ाई वर्षों में शिमला व सोलन शहरों के आसपास की लेबर वर्ग की महिलाओं को उन्हें निजी स्वच्छता के बारे में जागृत करने व उनका निजी स्वच्छता के बारे में जागृत करना और उनको मुफ्त सेनेटरी पैड व उनके बच्चों को जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं लेखन सामग्री कॉपी,  पेन, पेंसिल, क्रेयाॅन व ड्राइंग बुक्स देने का बीड़ा उठाया। धीरे-धीरे हंसवी ने अपना दायरा बढ़ाया और हिमाचल के किन्नौर व लाहौल स्पीति जिलों के दुर्गम के क्षेत्र तक पहुंची।   हंसवी एनजीओ की अवधारणा अंकित मल्होत्रा के मन में उपजी और उसको पंख लगाए उनकी माता शन्नो  मल्होत्रा व पिता डॉ योगराज मल्होत्रा ने और लक्ष्य दिया उनकी बड़ी बहन निकिता मल्होत्रा ने।

अंकित ने जब रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की नौकरी छोड़ी तो उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में काम करने का मन बनाया।  अंकित ने बताया कि उसके दादा हंसराज व दादी  हमेशा गरीब व वंचित लोगों की मदद करते थे। दादा  चम्बा में एक ढाबा चलाते थे।वह हमेशा गरीब लोगों को मुफ्त  रोटी खिला कर खुशी महसूस करते थे और उनकी आर्थिक मदद भी करते थे। यहीं से अंकित के मन में समाज की सेवा करने का विचार आया। अंकित के माता-पिता भी अपने वेतन का कुछ हिस्सा जरूरतमंद लोगों को देते रहे। इससे अंकित के विचार को ताकत मिली और  हंसवी  एनजीओ का जन्म हुआ। हंसवी ने अपने अड़ोस-पड़ोस के कुछ निर्धन परिवारों को चिन्हित कर उनका हर महीने राशन और बच्चों को पढ़ाई का खर्चा देने का बीड़ा उठा लिया।               

            हंसवी ने बड़ी छलांग तब लगाई जब अंकित की बहन निकिता मल्होत्रा जो बैंक में मैनेजर हैं,  जुनेड़घाट के अनाथ आश्रम, जिस की देखरेख एक रिटायर व्यक्ति करते थे लेकिन अब उम्र दराज होने के कारण अनाथ आश्रम को पूरा समय नहीं दे पा रहे थे ,के बारे में बात करी । अंकित ने जुनेड़घाट के आश्रम को देखा और वहां रह रहे बच्चों बात की । हंसवी ने आश्रम को गोद  ले लिया और वहां के18- 20 बच्चों के राशन-पानी का खर्चा व अनाथ आश्रम के भवन की मरम्मत करने और मूल सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम  किया ।हंसवी के इस प्रयास में अंकित के चार पांच दोस्त और भी जुड़ गए।  आज दोस्तों की संख्या 30 से 40 हो गई है जो हर महीने ₹100 रुपए का योगदान करते हैं। इन 30 40 दोस्तों के अतिरिक्त भी हंसवी के साथ लगभग 1500 लोग जुड़े हैं जो अनियमित योगदान देते रहते हैं।                                       

हंसवी ने हाल ही में किन्नौर व स्पिति में बीआरओ  व अन्य  विभागों के साथ जुड़ी महिला श्रमिकों व ग्रामीण महिलाओं को सेनेटरी पैड और उनके बच्चों और अन्य गरीब को लेखन सामग्री बांटी। हंसवी ने हाल ही में नको, चांगो, लारी, ताबो, सिचलिंग, धनकर, लालूंग ,मड, रामा, काजा1,काजा2, कीई, हिक्कम कोमिक, किब्बर, लांगजा चिच्मच,  र॔गरिक, खूरिक, पांगमो,हंसा और लोसर के चयनित  स्कूली बच्चों को लेखन सामग्री और महिलाओ  सैनिटरी पैड बांटे।

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