सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 40 लोगों को बचाने का काम धामी सरकार की अत्यधिक मुस्तैदी के बाद भी धीमी गति से चल रहा है। लोगों को फंसे हुए आज सातवां दिन है। शासन प्रशासन के जबरदस्त प्रयासों के बाद भी एस्केप रूट बनाने का काम में देरी की वजह यह भी है की जो मशीन पहले इस काम में लगाई गई थी वह मालवा भेदने में असफल रही हैं । नई मशीन के आने के बाद पाईप बिछाने का काम 25 मीटर तक ही हो पाया है। अद्यतन जानकारी के अनुसार 25 मीटर की लंबाई तक पहुंच जाने के बाद मशीन किसी धातु के से टकरा गई है और अब इस धातु को काटने में देरी होने हो रही है।
उत्तरकाशी के अर्पण यदुवंशी ने कहा है कि एस्केप रूट बनाने के काम में तेजी लाने के लिए अमेरिका की बेहद उन्नत मशीन है आगुर को लाया गया है। इस मशीन से 1 घंटे में 5 मीटर मलबे को भेदा जा सकता है और इसने काम भी शुरू कर दिया है। एस्केप रूट बनाने का काम 24 घंटे चल रहा है। वहां अभी तक पांच पाइप डाल दिए गए हैं ।फंसे मजदूर तक पहुंचाने के लिए लगभग 70 मीटर पाइप बिछानी होगी और फिर उन मजदूरों को निकालने का काम शुरू होगा
इस बीच फंसे मजदूरों को दवाई, पानी, खाने-पीने का सामान व ऑक्सीजन की लगातार आपूर्ति की जा रही है। मजदूरों से बातचीत भी की जा रही है ताकि उनकी मनोस्थिति को भी ठीक रखा जा सके। मजदूरों को मनोवैज्ञानिक परीक्षण व परामर्श की जरूरत होगी क्योंकि फंसे हुए मजदूरों के लिए यह घटना सदमे की तरह है। वह शारीरिक तनाव के साथ-साथ मानसिक तनाव से भी गुजर रहे हैं।
यद्यपि अधिकारी मजदूरों को निकालने के की कोई टाइमलाइन नहीं दे रहे हैं । परंतु उम्मीद है कि शनिवार या रविवार तक सफलता हाथ लग जाए ।ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है की लगभग 70 मीटर तक टूटी सुरंग का मलबा फैला है। मजदूरों को निकालने के लिए 900 एम एम डाया की पाइप डाली जा रही है। जिसे मजदूरों को एक पाइप जोड़ने के लिए 3 घंटे का वक्त लग रहा है अभी तक पांच पाइप जोड़े गए हैं अगर कोई बाधा नहीं आई तो आज मजदूर को निकालने में सफलता मिल सकती है।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग टूटने की घटना को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए वहां फंसे चालीस लोगों को यथाशीघ्र सुरक्षित बचा लेने की कामना की है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि उत्तरकाशी, जोशीमठ समेत पहाड़ों में आए दिन हो रही इस तरह की दुर्घटनाओं के पीछे अनियोजित विकास व हिमालय राज्य की संवेदनशील पारिस्थितिकी आपराधिक उपेक्षा है जो इस क्षेत्र के विनाश का कारण बन रही है।

परिवर्तन पार्टी ने कहा कि उत्तराखंड में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं, बांधों, ऑल वेदर रोड में होने वाली दुर्घटनाओं में काम कर रहे लोगों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं के बराबर हैं। उत्तरकाशी, रैणी और जोशीमठ क्षेत्र में 7 फरवरी 2021 को आई आपदा इसका उदाहरण है जहां तपोवन विष्णु गाड़ योजना में 204 लोगों की टनल में दबने से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद जोशीमठ में जबरदस्त भू धसांव हुआ और वहां काम कर रही एनटीपीसी फिर निर्माण व विस्फोट करने की अनुमति चाहती है। उपपा ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर लीपापोती करना ठीक नहीं होगा। हमारी सरकारों और समाज को उत्तराखंड की संवेदनशील पारिस्थितिकी व समाज के हित में विकास के इस मॉडल की गहन समीक्षा कर नीतियों में बड़े बदलाव की तत्काल पहल करनी होगी।

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